ओलंपिक आदि मुकाबलों से पूर्व डोपिंग का मामला उभर कर सामने आ जाता है। आपके मन में भी यह सवाल आ रहा होगा कि यह डोपिंग क्या होती है? और खिलाड़ी किन प्रतिबंधित चीजों का इस्तेमाल करते हैं और इनके क्या नुकसान होते हैं।

दरअसल जब कोई एथलीट या खिलाड़ी अपनी शक्ति में वृद्धि के लिए प्रतिबंधित दवाओं का इस्तेमाल करता है, तो उसे डोपिंग कहते हैं। जांच में पकड़े जाने पर चार साल का प्रतिबंधित झेलना पड़ता है। आइए इससे रिलेटेड कुछ और अच्छे से डिटेल में समझ लेते हैं।
स्टेरॉयड का इस्तेमाल
स्टेरॉयड हमारे शरीर में पहले से ही मौजूद होता हैं, जैसे टेस्टोस्टरॉन, लेकिन कई बार जब एथलीट स्टेरॉयड के इंजेक्शन लेते हैं, तो शरीर में इनका संतुलन बिगड़ जाता है। पुरुष में टेस्टोस्टरॉन मेल हार्मोन का काम करता है। इसके अलावा यह मांसपेशियों को भी बढ़ाता है। इसीलिए पुरुष खिलाड़ी इसका इस्तेमाल कर लेते हैं। इसके कुछ खतरनाक नुकसान हो सकते हैं।
इसके अलावा खिलाड़ी के हृदय और तंत्रिका तंत्र पर भी असर पड़ सकता है। इसके अलावा उत्तेजक पदार्थ, पेप्टाइड हार्मोन, नारकोटिक्स आदि का प्रयोग किया जाता है। इस तरह ड्यूरेटिक्स शरीर के पानी को बाहर निकाल देता है। जिससे कुश्ती जैसे खेलों में कम भारवाली श्रेणी मैं घुसने का मौका मिलता है। ड्यूरेटिक्स का इस्तेमाल हाई बीपी के इलाज में होता है।
क्या होती है ब्लड डोपिंग
ब्लड डोपिंग का मामला हाल में पकड़ में आया है हालांकि कुछ शातिर खिलाड़ी 1980 के दशक से इसको इस्तेमाल करते आ रहे थे। किशोरों के रक्त में लाल रुधिर कणिकाओं का मात्रा ज्यादा होती है। ये कणिकाएं ज्यादा ऑक्सीजन का प्रवाह करती है। जिससे शरीर में ज्यादा ऊर्जा का संचार होता है। कुछ खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए किशोरों का खून चढ़ाते रहें। इसे ही ब्लड डोपिंग कहते हैं। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
कैसे पकड़े जाते हैं दोषी
उन संस्थाओं द्वारा ओलंपिक, कॉमनवेल्थ आदि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स से पहले खिलाड़ियों का टेस्ट किया जाता है इसमें यूरिन व ब्लड टेस्ट किया जाता है। Doping test में मरीज के ब्लड के ए और बी दो सैंपल लिए जाते हैं। अगर दोनों सैंपल में इन डोप्स की मात्रा पाई जाती है, तो खिलाड़ी को डोपिंग का दोषी माना जाता है। उसके बाद उस खिलाड़ी पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
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हर देश में एंटी डोपिंग संस्था
1998 में प्रतिष्ठित साइकिल रेस टूर्नामेंट, टूर दी फ्रांस, के दौरान जब खिलाड़ियों और दवा विक्रेताओं के पास बड़ी मात्रा में अत्याधुनिक डोप एलिमेंट्स पाए गए, तो लगा कि अब तक किए गए सारे प्रयत्न बोने साबित हुए हैं। इसके बाद डोपिंग की व्यापक रोकथाम के लिए एक अलग और अंतरराष्ट्रीय नियामक बनाया गया। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने 1999 में विश्व एंटी डोपिंग संस्था (वाडा, वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी) कि स्थापना इसी उद्देश्य की। बाद में हर देश में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी संस्था (वाडा) की भी स्थापना होने लगी। भारत में में भी इसके लिए संस्था है।
निष्कर्ष
मुझे उम्मीद है कि आपको “डोपिंग क्या होती है” पूरे डिटेल के साथ समझ में आ गया होगा कि क्या होता है। Doping और कौन इसका ज्यादा इस्तेमाल या यूज करता है अगर इसमें कुछ कमी रह गया हो या आपके लिए ये लेख कितना हेल्पफुल रहा प्लीज कॉमेंट करके अवश्य बताएं। ताकि इसी प्रकार का नॉलेज आपके सामने और ला सके और इसे अपने दोस्तों के साथ या सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूले। धन्यवाद


