अनूठा झंडा (Unique Flag), ध्वज किसी समुदाय, संगठन : या देश के राष्ट्रीय प्रतीक या सिंबल हैं। ये सिंबल उस देश की पहचान बन जाते है। ये झंडे आज के नही हैं, सदियों पहले भी इस्तेमाल में लाये जाते थे। फर्क इतना है कि उस समय इनका रूप अलग था। ये भाले या स्पीयर्स के रूप में थे। जिन्हें सांस्कृतिक प्रतीकों से सजाया जाता था।
एक समूह के लोग दूसरे समूह से खुद को अलग करने के लिए भाले, रिबन, चमरे या रेशम से सजावट करते थे। किसी जगह पर अपनी सत्ता जमाने के लिए वे भाले वहाँ छोड़ देते थे।
कब से आया झंडे का चलन
18वीं सदी से इन भालो का स्थान झंडो ने ले लिया और पूरी दुनिया में इसका चलन बढ़ गया। किसी नयी जगह पर का अपना अधिकार जमाने को लिए या अपनी पहुंच का सहसास कराने के लिए झंडे का इस्तेमाल किया जाने लगा। 19वीं सदी में पहली बार चांद पर कदम रखनेवाले नील आर्मस्ट्रांग ने अमेरिका का झंडा और माउंट-स्वरेस्ट को फतह करनेवाले सर एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे ने यूनाइटेड किंगडम का परचम लहराचा।
हर झंडे की होती है विशिष्टता
आज दुनिया में 200 से अधिक देश है और उन सभी के अपने-विशिष्ट झंडे है। लेकिन अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आप पायेंगे कि शेप में ये झंडे आयताकार रूप के है। हां दो त्रिकोण शेप का नेपाल का झंडा जरूर उसका अपवाद है। जिसमें दो त्रिकोण एक साथ है, दुनिया भर में स्क्वेयर शेप में स्विस का झंडा भी अपने आप में अनूठा है।
इसी तरह अनुपात को लेकर भी दुनिया भर के झंडो में मतभेद पाया जाता है। आमतौर पर दुनिया भर में झंडे का स्टैंडर्ड साइज चौड़ाई और लंबाई के 1/2 के अनुपात में (9/18) फुट मान्य है। लेकिन कनाडा जैसे कुछ देश इसके अपवाद है। वहाँ के झंडे का अनुपात 2:3 है।
हर रंग का होता है खास महत्व
जहाँ तक विभिन्न देशों के झंडों की रंग योजना का सवाल है। दोस्तों इनमें हरा, लाल, नीला, पीला जैसे प्राइमरी रंग ही नहीं है, बल्कि सफेद, काला जैसे सेंकेंडरी कलर भी है। जो प्राइमरी रंगो के साथ मिल कर नया रंग बनाते है। जैसे नारंगी, सुनहला। दोस्तो दुनिया भर के झंडों में सिर्फ दक्षिण अफ्रीका का झंडा ही रोसा झंडा है।
जिसमें 6 रंगो का इस्तेमाल किया गया है। ज्यादातर देश के झंडे 2 से 4 रंगो के है। वैसे तो इन रंगो का अपना महत्व है, लेकिन अलग- अलग संस्कृतियों में से अलग अर्थ भी रखते है। झंडे में हर रंग को एक खास महत्व के साथ शामिल किया जाता है।
प्रतीकों का झंडे मे महत्व
झंडे के रंग ही नहीं, इनके बीच बने सिंबल या प्रतीका का भी अलग-अलग रूप है और इनका अपना महत्व है। ये सिंबल ज्यादातर धर्म पर आधारित है। दुनिया के लगभग एक तिहाई देशों के झंडो पर ईसाई प्रतीक है। लगभग 33 प्रतिशत झंडो पर इट्लामिक प्रतीक है। बौद्ध व हिंदू धार्मिक प्रतीक केवल 5 देशों के झंडो पर बने है, जिनमे से नेपाल के झंडे में तो इन दोनो का ही इस्तेमाल किया गया है।
सूर्य :- सूरज का सर्कल एकता और ऊर्जा का प्रतीक है। जापान उगते सूरज वाला देश है इसलिए उसके झंडे में लाल गोला सूरज का प्रतीक है।
चंद्रमा :- झंडों में चंद्रमा की क्रिसेंट शेप को लिया गया है। जो कि इस्लाम धर्म का प्रतिनिधित्व करता है। इसका प्रयोग दुनिया के अधिकतर इस्लामिक देशों में किया गया है।
स्टार :- नीले आकाश में चमकते सफेद स्टार शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक है। ये सिंबल अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड के झंडो में है।
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निष्कर्ष
हम पूरे ब्लॉग पोस्ट में चर्चा किए गए मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में समझाने की कोशिश किए है। यह दोहराते हुए कि दुनिया के कुछ अनूठा झंडा (Unique Flag) का लेखा जोखा, इसके बारे में जानना भी सबके लिए बहुत ज़रूरी है। की पहले किस तरह देश का झंडा का सिंबल हुआ करता था। और अब कैसा है, ताकि उस देश को उसके प्रतीक से देख कर पहचान पाए। इसमें कुछ कमी रह गया हो या आपके लिए ये लेख कितना हेल्पफुल रहा प्लीज कॉमेंट करके अवश्य बताएं। ताकि इसी प्रकार का नॉलेज आपके सामने और ला सके और इसे अपने दोस्तों के साथ या सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूले। धन्यवाद